Units and dimensions
विज्ञान (Science):- किसी भी ज्ञान का क्रमबद्ध अध्ययन को विज्ञान कहा जाता है।
विज्ञान की शाखाएं (branches of science):- विज्ञान की दो शाखायें है---
- भौतिक विज्ञान(physical science):इसे भी दो भागों में बंटा गया है
- भौतिकी(Physics)
- रसायनशास्त्र(Chemistry)
- प्राकृतिक विज्ञान (Natural science):- इसे भी दो भागों में बंटा गया है---
- पादप विज्ञान या वनस्पति विज्ञान ( Botany)
- जंतु विज्ञान या प्राणी विज्ञान ( Zoology)
भौतिकी (Physics):- विज्ञान की वह शाखा जिसमे पदार्थ के बाहरी गुणों का अध्ययन किया जाता है उसे भौतिकी कहा जाता है।
भौतिकी में गणनाओं का विशेष महत्व है इसलिए इसे गणनाओं का विज्ञान भी कहा जाता है।
Physics is the science of measurements.
Branches of physics:- भौतिकी की कई शाखाएं है । सुविधा के अनुसार इसे निम्न शाखाओं में बंटा जाता है----
- यांत्रिकी (Mechanics) या सामान्य भौतिकी (general physics)
- ऊष्मा (Heat)
- तरंग विज्ञान (Wave science)
- प्रकाश (Light)
- स्थिर वैद्युत (Electrostatic)
- धारा विद्युत (Current Electricity)
- चुम्बकत्व ( Magnetism)
- आधुनिक भौतिकी (Modern physics)
Chapter 1: Units and dimensions
भौतिक राशियाँ (physical quantities):- भौतिकी के नियमों को जिन पदों में व्यक्त किया जाता है उन्हें भौतिक राशियाँ कहा जाता है । जैसे लंबाई, द्रव्यमान, समय, बल etc
भौतिक राशियों के प्रकार:- भौतिक राशियाँ दो प्रकार की होती है---
- आधारी या मूल राशियाँ (fundamental or basic quantities)
- व्युत्पन्न राशियाँ ( Derived quantities)
आधारी या मूल राशियाँ (Basic or fundamental quantities):- वे भौतिक राशियाँ जो एक दूसरे से स्वतंत्र होती है उसे आधारी या मूल राशियाँ (fundamental quantities) कहते है। जैसे लंबाई, समय, द्रव्यमान इत्यादि
मूल राशियों की विशेषताएं:-
- ये एक दूसरे से स्वतंत्र होती है।
- इनकी परिभाषा नहीं होती है।
- इनकी संख्या सिर्फ सात होती है।
- इन्ही से व्युत्पन्न राशियाँ बनती है।
व्युत्पन्न राशियाँ (Derived quantities):- वे भौतिक राशियाँ जो एक दूसरे से स्वतंत्र नही होती है उसे व्युत्पन्न राशियाँ कहते है। जैसे क्षेत्रफल, आयतन, वेग, चाल इत्यादि
#व्युत्पन्न राशियों की विशेषताएं:-
- ये एक दूसरे से स्वतंत्र नहीं होती है। ये मूल राशियों पर निर्भर करती है।
- इनकी एक निश्चित परिभाषा होती है।
- इनकी संख्या अनगिनत होती है।
मात्रक (units) :- किसी भी भौतिक राशि की मापन के लिए आवश्यक मानक को ही मात्रक या इकाई units कहते है। दूसरे शब्दों में, किसी भौतिक राशि को एक संख्यात्मक मान देने के लिए जिस मानक का प्रयोग किया जाता है उसे मात्रक कहते है।
मात्रक मानक (standard) भी हो सकते है और अमानक (non-standard) भी सकते है। मानक मात्रक मान्यता प्राप्त मात्रक होते है।
एक बार मात्रक चुन लेने के बाद किसी भौतिक राशि की माप अर्थात उसका परिमाण उसके मात्रक के साथ तुलना कर के ज्ञात की जाती है।
मापन (measurement):- मापन एक तकनीक है जिसकी सहायता से किसी भौतिक राशि को एक निश्चित मात्रक में संख्यात्मक मान दी जाती है। इसका अर्थ यह है कि किसी भौतिक राशि को पूर्ण रूप से व्यक्त करने के लिए दो बातों का ज्ञान अति आवश्यक है……
- एक मात्रक और
- एक संख्यात्मक मान
जैसे छड़ी की लंबाई 2m है । इसमें 2 संख्यात्मक मान है और m एक मात्रक।
इस प्रकार , किसी भौतिक राशि x की माप को निम्न प्रकार से दर्शाया जा सकता है….
x = nu
जहां n उस भौतिक राशि की माप का संख्यात्मक मान है और u उस राशि का मात्रक है।
मात्रकों के प्रकार (kinds of units) :- मात्रक दो प्रकार के होते है….
- मूल या आधारी मात्रक (Basic or fundamental units)
- व्युत्पन्न मात्रक ( Derived units)
मूल या आधारी मात्रक:- मूल भौतिक राशियों के मात्रक को मूल या आधारी मात्रक कहते है। मूल मात्रकों की संख्या 7 है। इसके अलावा दो संपूरक मात्रक भी है। आधारी SI मात्रक एवम संपूरक SI मात्रक निम्न है…
व्युत्पन्न मात्रक:-
व्युत्पन्न राशियों के मात्रको को व्युत्पन्न मात्रक कहते है। जैसे न्यूटन, पास्कल, जुल, इत्यादि।
व्युत्पन्न मात्रकों के गुण:-
- ये मात्रक मूल मात्रकों से मिल कर बने होते है।
- ये स्वतंत्र नही होते है।
- इनका निश्चित परिभाषा होते है। इत्यादि
मात्रकों की पद्धतियाँ (System of units):- सभी प्रकार की राशियों के पूर्ण समूह को मात्रकों की पद्धति (System of units) कहते है। मात्रकों की कुछ प्रमुख पद्धतियाँ निम्नलिखित है:----
- फुट-पाउंड-सेकंड पद्धति या FPS पद्धति या ब्रिटिश पद्धति
- सेंटीमीटर-ग्राम-सेकंड पद्धति या cgs पद्धति या मीटरी पद्धति
- मीटर- किलोग्राम-सेकंड पद्धति या mks पद्धति
- SI पद्धति
SI मात्रक :- 1960 में माप तौल के अंतराष्ट्रीय सम्मेलन में एक नए पद्धति की शुरुआत की गई जिसे SI पद्धति कहते है।वास्तव में यह mks पद्धति का ही परिमार्जित रूप है। SI पद्धति में सात मूल मात्रक एवम दो संपूरक मात्रक की मान्यता दी गई है जिसकी चर्चा ऊपर की जा चुकी है। 1970 में सातवां आधारी मात्रक मोल जोड़ा गया है।
SI मात्रक के गुण:- SI मात्रक के कुछ प्रमुख गुण निम्नलिखित है:----
- SI मात्रकों की मान्यता पूरे विश्व मे है।
- यह विज्ञान के सभी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है।
- SI मात्रक निरपेक्ष होते हैं।
- इसमे आधारी मात्रकों की संख्या न्यूनतम है।
- इससे आसानी से व्युत्पन्न मात्रक प्राप्त किये जा सकते है।
- SI मात्रक दाशमिक प्रणाली का उपयोग करता है।
मानक SI उपसर्ग (Standard SI prefix)
नीचे दी गई सारणी में दस के घात के लिए उपसर्ग दिए गए है:---
विमा (Dimensions):-
किसी भौतिक राशि का मात्रक प्राप्त करने के लियेमुल मात्रकों पर लगाये गए घातों को उस भौतिक राशि की विमाएँ (dimensions) कहते है।
Hii
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