वैद्युत रसायन 12th class chemistry chapter 3
वैद्युत रसायन
भौतिक रसायन की वह शाखा जिसमे विद्युत ऊर्जा , रासायनिक ऊर्जा तथा इनके पारस्परिक संबंधों का अध्ययन किया जाता है उसे वैद्युत रसायन कहा जाता है।
इसके अंतर्गत दो प्रकार की अभिक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है---
- वैद्युत अपघटन (electrolysis)
- विद्युत रासायनिक अभिक्रिया (electrochemical reaction)
वैद्युत अपघटन (electrolysis)
किसी यौगिक की द्रवित अवस्था या विलयन की अवस्था मे विद्युत धारा प्रवाहित कर यौगिक को अपघटित करने की क्रिया को वैद्युत अपघटन अभिक्रिया कहा जाता है। वैद्युत अपघटन की क्रिया में विद्युत ऊर्जा खर्च की जाती है और रासायनिक अभिक्रिया सम्पन्न की जाती है। वैद्युत अपघटन की क्रिया एक वैद्युत अपघटनी सेल में कराई जाती है।
विद्युत रासायनिक अभिक्रिया
वह रासायनिक अभिक्रिया जिससे विद्युत की उत्पत्ति होती है तो उसे विद्युत रासायनिक अभिक्रिया कहा जाता है। इसकी चर्चा दूसरे लेख में किया जाएगा।
आगे बढ़ने से पहले हम कुछ महत्वपूर्ण बातों को जान लेते है ।
वैद्युत अपघट्य ( Electrolytes )
वे यौगिक जो जलीय विलयन की अवस्था या पिघली हुई अवस्था मे विद्युत के सुचालक होते है उसे वैद्युत अपघट्य कहा जाता है। जैसे NaCl, HCl, H2SO4 etc
विशेषतायें------
- वैद्युत अपघट्य प्रायः आयनिक अर्थात वैद्युत संयोजक यौगिक होते है।
- ये प्रायः आयनों के बने होते है
- जलीय विलयन की अवस्था या पिघली हुई अवस्था मे ये आयनों के रूप में टूट जाते है।
- ये प्रायः दो प्रकार के होते है । प्रबल अपघट्य एवं दुर्बल अपघट्य। प्रबल अपघट्य का पूर्ण आयनन होता है जबकि दुर्बल अपघट्य को अपूर्ण आयनन होता है।
- वैद्युत अपघट्य की ही वैद्युत अपघटन की क्रिया की जाती है।
वैद्युत अनपघटय (Non electrolytes )
वे यौगिक जो जलीय विलयन की अवस्था या पिघली हुई अवस्था मे विद्युत के सुचालक नहीं होते है उसे वैद्युत अनपघट्य कहा जाता है। जैसे चीनी यूरिया क्लोरोफार्म इत्यादि।
विशेषतायें-------
- वैद्युत अनपघट्य प्रायः आयनिक अर्थात वैद्युत संयोजक यौगिक नहीं होते है बल्कि ये सहसंयोजक यौगिक होते है।
- ये आयनों के नहीं बने होते है
- जलीय विलयन की अवस्था या पिघली हुई अवस्था मे ये आयनों के रूप में नही टूटते है।
- वैद्युत अनपघट्य को वैद्युत अपघटन की क्रिया नहीं की जा सकती है।
वैद्युत अपघटनी सेल (Electrolytic cell)
जिस वर्तन में वैद्युत अपघटन की क्रिया सम्पन्न कराई जाती है उसे वैद्युत अपघटनी सेल कहा जाता है ।इस सेल में दो इलेक्ट्रोड होते है। धनात्मक supply वाले इलेक्ट्रोड को एनोड कहा जाता है जबकि ऋणात्मक supply वाले इलेक्ट्रोड को कैथोड कहा जाता है।
ये भी देखें
वैद्युत अपघटनी सेल के अंदर होने वाली अभिक्रिया :-
सेल के अंदर मुख्यतः दो प्रकार की अभिक्रिया होती है। एक अभिक्रिया कैथोड पर होती है जबकि दूसरी अभिक्रिया एनोड पर होती है ।
कैथोड पर होने वाली अभिक्रिया
कैथोड ऋणावेशित होता है । इसलिए वैद्युत अपघट्य के धनायन इससे आकर्षित होकर कैथोड पर पहुंचता है तथा वहां से इलेक्ट्रान ग्रहण कर उदासीन हो जाता है। अर्थात कैथोड पर अवकरण (reduction) अभिक्रिया होती है।
M+ + e ------> M
एनोड पर होने वाली अभिक्रिया
एनोड धनावेशित होता है । इसलिए वैद्युत अपघट्य के ऋणायन आकर्षित होकर एनोड पर पहुंचता है तथा वहां वह अपने इलेक्ट्रान का त्याग कर उदासीन हो जाता है। अर्थात एनोड पर ऑक्सीकरण (oxidation) अभिक्रिया होती है।
M- ------> M + e
अधिशोषण
वाष्प दाब एवं Rault's का नियम
वैद्युत अपघटन संबंधी फैराडे के नियम
1832 ई0 में माइकल फैराडे ने वैद्युत अपघटन संबंधी दो नियमो का प्रतिपादन किया जो इस प्रकार है :-
पहला नियम
वैद्युत अपघटन की क्रिया में प्रत्येक इलेक्ट्रोड पर मुक्त होनेवाले पदार्थ की मात्रा (m) विलयन में प्रवाहित होनेवाली विद्युत धारा के परिणाम अर्थात आवेश के समानुपाती होता है। अर्थात
m~ Q
m = zQ
m = zIt जहाँ Q =It
z एक नियतांक है तथा इसे विद्युत रासायनिक तुल्यांक (electrochemical equivalent) कहा जाता है।
विद्युत रासायनिक तुल्यांक :-
यदि I = 1A तथा t = 1 sec तो m = z अर्थात
किसी पदार्थ का विद्युत रासायनिक तुल्यांक उसकी वह मात्रा है जो 1 ampere की विद्युत धारा 1 सेकंड तक प्रवाहित होने पर होता है ।
दूसरे शब्दों में , 1C आवेश प्रवाहित करने पर किसी पदार्थ की जितनी मात्रा इलेक्ट्रोड पर मुक्त होती है पदार्थ की उस मात्रा को उस पदार्थ की विद्युत रासायनिक तुल्यांक कहते है ।
जैसे Ag का विद्युत रासायनिक तुल्यांक =0.001118 g होता है। इसी प्रकार कुछ अन्य तत्वों का विद्युत रासायनिक तुल्यांक निम्न है:-
तांबा ( Cu ) विद्युत रासायनिक तुल्यांक = 0.00032935
H का विद्युत रासायनिक तुल्यांक = 0.000010446
दूसरा नियम
यदि श्रेणीक्रम में जोड़े गए कई वैद्युत अपघट्य के विलयनों से होकर एक ही धारा प्रवाहित किया जाए तो मुक्त होने वाले पदार्थों की मात्राएँ उनके तुल्यांकी भारों के समानुपाती होता है।
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