Mutation

उत्परिवर्तन (Mutation)

उत्परिवर्तन

जीन की संरचना, DNA की संरचना, गुणसूत्रों की संख्या या संरचना इत्यादि में अचानक हुए परिवर्तन को उत्परिवर्तन कहा जाता है। उत्परिवर्तन DNA प्रतिकृति बनने के समय घटित होता है। उत्परिवर्तन कायिक कोशिका (somatic cell) या जननिक कोशिका (genetic cell)  या दोनों में हो सकता है । जनन कोशिकाओं में होने वाला उत्परिवर्तन वंशानुगत होता है।

उत्परिवर्तन की विशेषतायें

  1. उत्परिवर्तन अचानक होने वाली एक जैव घटना है।
  2. उत्परिवर्तन कोशिका विभाजन के समय होता है या DNA प्रतिकृति बनते समय होता है।
  3. इस घटना में जीन की संरचना, DNA की संरचना, गुणसूत्रों की संख्या या संरचना इत्यादि में परिवर्तन हो सकता है।
  4. उत्परिवर्तन एक जीनोटाइप परिवर्तन है । यह फेनोटाइप रूप से परिलक्षित हो भी सकता है या नही भी परिलक्षित हो सकता है अर्थात यह बाह्य रुप में दिखाई दे भी सकता है और न भी दिखाई दे सकता है।
  5. उत्परिवर्तन से लाभ या हानि हो सकता है।


उत्परिवर्तन के कारण

उत्परिवर्तन कई कारणों से होता है। इनमे से कुछ प्रमुख कारण निम्न है: -
  1. उत्परिवर्तन दाब के कारण :- उत्परिवर्तन दाब के कारण जीवों में उत्परिवर्तन होते रहता है। बदलते वातावरण के कारण जीवो के अनुवांशिक पदार्थ पर बदलाव के लिए एक दाब उत्पन्न होता है जिसे उत्परिवर्तन दाब कहा जाता है। इस दाब के कारण उत्परिवर्तन होते रहता है अर्थात जीवों ऐसे परिवर्तन होते है कि वे नए वातावरण में अनुकूलित हो सके ।
  2. Mutagens के कारण :- कुछ ऐसे पदार्थ या ऊर्जा के रूप होते है जिनके कारण उत्परिवर्तन होता है तो ऐसे पदार्थों या ऊर्जा के रूप को mutagenes कहते है। जैसे पराबैंगनी किरणे, X किरणें, Ethylmethane सल्फ़ोनेट (ईएमएस), इत्यादि । इन पदार्थों के संपर्क में आने से उत्परिवर्तन हो सकता है।कुछ पर्यावरणीय कारकों, जैसे पराबैंगनी प्रकाश और रासायनिक कार्सिनोजन (जैसे, एफ़्लैटॉक्सिन बी 1) जैसे जीव के प्राकृतिक जोखिम भी उत्परिवर्तन का कारण बन सकते हैं।
  3. पर्यावरणीय कारक के कारण:- पर्यावरणीय कारको जैसे विभिन्न प्रकार के विकिरण ,पराबैंगनी विकिरण इत्यादि से भी उत्परिवर्तन हो सकता है।

उत्परिवर्तन के परिणाम

उत्परिवर्तन का परिणाम लाभकारी या हानिकारक हो सकता। एक तरफ उत्परिवर्तन से जीवों की नई प्रजातियों के विकास होता है तो दूसरी तरफ जीवों में तरह तरह की बीमारियाँ भी उत्पन्न होती है। उत्परिवर्तन के कारण उत्पन्न विमारियाँ कभी कभी जीवों के लिए वरदान तो कभी अभिशाप बन जाती है। 
       उत्परिवर्तन के कारण ही पृथ्वी पर जीवों की नई नई  प्रजातियों के विकास होता है।

उत्परिवर्तन के उदाहरण

हमें अपने दैनिक जीवन में कई उदाहरण मिल जाएंगे जहाँ उत्परिवर्तन हुआ है। sickle cell एनेमिया, डाउन्स सिंड्रोम, मांगोलिज्म इत्यादि उत्परिवर्तन के कुछ प्रमुख उदाहरण है।

उत्परिवर्तन के प्रकार

उत्परिवर्तन कई प्रकार के होते हैं। विभिन्न आधारों पर उत्परिवर्तन का वर्गीकरण किया गया है । उत्परिवर्तन के कुछ प्रमुख प्रकार निम्न है:----

प्रभाव के  मात्रा के आधार पर

  1. सूक्ष्म उत्परिवर्तन (micro mutation)
  2. वृहत उत्परिवर्तन (macro mutation)

दिशा के आधार पर

  1. अग्र उत्परिवर्तन (forward mutation)
  2. पश्च उत्परिवर्तन (backward mutation)

संरचना के आधार पर

  1. गुणसूत्रीय उत्परिवर्तन या बहुगुणिता(chromosomal mutation or polyploidy)
  2. जीन उत्परिवर्तन (gene abbreviations)

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