Sexual reproduction
Sexual Reproduction
Sexual reproduction in organisms
लैंगिक जनन :- जनन की वह विधि जिसमे दो विपरीत लिंग वाले जीव भाग लेकर संतति उत्पन्न करते हैं तो उसे लैंगिक जनन कहते हैं।
- लैंगिक जनन की विशेषतायें:-
- इसमें दो विपरीत लिंग वाले जीव या रचनाएँ भाग लेती हैं।
- इससे उत्पन्न संतति अपने पूर्वजों से थोड़ा भिन्न होते हैं अर्थात संतति में विभिन्नता आ जाती है।
- यह एक जटिल प्रक्रिया है।
- यह उच्च श्रेणी के पादप एवं जंतुओं में होता है।
- इसमें युग्मक का निर्माण होता है। युग्मक अगुणित होता है।
- इसमें जननिक या जनन कोशिकाऐं भाग लेती है।
- इसमें जनन के लिए विशेष अंग होते हैं।
- इससे उत्पन्न जीवों में जीवन चक्र होता है।
लैंगिक जनन से लाभ:-
- लैंगिक जनन से उत्पन्न होने वाले जीवों में विभिन्नताऐं पाई जाती हैं जिससे इनमें नए परिवेश में अनुकूलित होने की क्षमता आ जाती हैं।
- पीढ़ी दर पीढ़ी विभिन्नताओं के जमा होने से नए प्रजातियों का विकास संभव हो पाता है।
- लैंगिक जनन से उत्पन्न जीवों में रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक पाया जाता है।
उच्च श्रेणी के जीवों ने लैंगिक जनन को क्यों चुना?
उच्च श्रेणी के जीवों के शरीरिक रचना जटिल होती है तथा इनके जैव क्रियाएं भी जटिल होती है ।इस स्थिति में इनमे उत्परिवर्तन की क्षमता लगभग नही पाई जाती है। उत्परिवर्तन के क्षमता की कमी के कारण उच्च श्रेणी के जीव नए प्रजातियों के विकास करने में असमर्थ होते हैं। अतः इस कमी को दूर करने के लिए उच्च श्रेणी के जीवों ने लैंगिक जनन को ही चुना।
लैंगिक जनन के चरण:-
लैंगिक जनन को तीन चरणों में बँटा गया है:-
- निषेचन पूर्व घटनाएं (pre-fertilization events)
- निषेचन ( fertilization)
- निषेचन पश्च घटनाएं (post-fertilization events)
- युग्मक का निर्माण (Formation of gametes):- जब जीव लैंगिक रूप से परिपक्व हो जाते हैं तो उनके जनन अंगो में युग्मकों का निर्माण होने लगता है। इस क्रिया को युग्मकजनन (gametogenesis) कहा जाता है। सामान्यतः युग्मक दो प्रकार के होते हैं..a) नर युग्मक b) मादा युग्मक
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