Indian Army
#आर्मी_डे...❤🇮🇳
सेना की 10 रोचक बातें 🇮🇳❤️🙏
भारत में हर साल 15 जनवरी को आर्मी डे यानी सेना दिवस मनाया जाता है। फील्ड मार्शल के.एम.करियप्पा ने इसी दिन यानी 15 जनवरी, 1949 को आखिरी ब्रिटिश कमांडर इन चीफ जनरल सर फ्रांसिस बूचर से भारतीय थल सेना के कमांडर इन चीफ का प्रभार संभाला था। इस मौके पर नई दिल्ली में और सेना के सभी मुख्यालयों में परेड्स और अन्य मिलिट्री शो का आयोजन होता है। आइये इस मौके पर हम भारतीय सेना के बारे में कुछ खास बातें जानते हैं...
- 1776 में कोलकाता में ईस्ट इंडिया कंपनी सरकार के अधीन भारतीय सेना का गठन हुआ था। अभी देश भर में भारतीय सेना की 53 छावनियां और 9 आर्मी बेस हैं। भारतीय सेना में सैनिक अपनी मर्जी से शामिल होते हैं। हालांकि संविधान में जबरन भर्ती का भी प्रावधान है लेकिन इसकी जरूरत कभी नहीं पड़ी।
- सियाचिन ग्लेशियर दुनिया की सबसे ऊंची रणभूमि है। यह समुद्र तल से 5000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
- 1971 का भारत-पाकिस्तान का युद्ध पाकिस्तानी सेना के करीब 93,000 सैनिकों और अधिकारियों के सरेंडर के साथ हुआ। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद हिरासत में लिए गए युद्ध बंदियों की यह सबसे बड़ी संख्या थी। इस युद्ध के बाद ही बांग्लादेश का निर्माण हुआ था।
- बेली पुल दुनिया का सबसे ऊंचा पुल है। यह हिमालय पर्वत की द्रास और सुरु नदियों के बीच लद्दाख की घाटी में है। अगस्त 1982 में भारतीय सेना ने इसका निर्माण किया था।
- भारतीय वायु सेना का तजाकिस्तान में एक आउट स्टेशन बेस है और दूसरा बेस अफगानिस्तान में बनाने पर गौर कर रही है।
- भारतीय सेना के पास एक घुड़सवार रेजिमेंट है। दुनिया में अब इस तरह की सिर्फ तीन रेजिमेंट्स रह गई है जिनमें से एक भारत की है।
- भारतीय नौसेना अकादमी, एझिमाला केरल में स्थित है। यह एशिया में अपने प्रकार की सबसे बड़ी नौसेना अकादमी है।
- बॉलिवुड की प्रसिद्ध मूवी 'बॉर्डर' लोंगेवाला के युद्ध पर बनी है। दिसंबर 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए इस युद्ध में भारत के सिर्फ 120 सैनिकों ने 2000 पाकिस्तानी सैनिकों से मोर्चा लिया था। इस युद्ध में भारत की सिर्फ दो कैजुअल्टी हुई थी और भारत के बहादुर सैनिकों ने पाकिस्तान को धूल चटा दी।
- परमवीर चक्र भारत का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है। दुश्मन के सामने उच्च दर्जे की बहादुरी या बलिदान के लिए यह दिया जाता है।
- भारतीय सेना संयुक्त राष्ट्र के शांतिबहाली ऑपरेशनों में अहम भूमिका निभाती है। बड़ी संख्या में भारतीय सैनिकों को इन ऑपरेशनों में तैनात किया जाता है।
भारतीय सेना में तीन तरह के कर्मी होते हैं:
1. कमिशंड ऑफिसर
ये सेना के सीनियर मैनेजमेंट होते हैं। जनरल से लेकर लेफ्टिनेंट तक के रैंक इसके तहत आते हैं। ये आईएएस के समकक्ष माने जाते हैं।
2. जूनियर कमिशंड ऑफिसर (JCO)
ये सेना के जूनियर मैनेजमेंट होते हैं। सेना में सूबेदार मेजर से लेकर नायब सूबेदार तक के रैंक इसके तहत आते हैं।
3. नॉन-कमिशंड ऑफिसर
ये जेसीओ द्वारा दिए गए आदेश पर अमल करते हैं। हवलदार से लेकर सिपाही तक के रैंक इसके तहत आते हैं।सभी सैन्य कर्मियों की वर्दी पर अलग-अलग बैज लगे होते हैं। बैज देखकर पता चल जाता है कि यह अधिकारी किस पद पर है। आइए जानते हैं रैंक और बैज...
लेफ्टिनेंट
पहचानः बैज पर पांच किनारों वाले दो सितारे। कमिशंड ऑफिसर रैंक में यह सबसे शुरुआती पद है।
कैप्टन
पहचानः बैज पर पांच किनारों वाले तीन सितारे। दो साल की कमिशंड सर्विस पूरी होने पर समयसीमा के आधार पर यह प्रमोशन मिलता है।
मेजर
पहचानः बैज पर अशोक चिह्न। समयसीमा के हिसाब से 6 साल की कमिशंड सर्विस पूरी करने पर प्रमोशन मिलता है।
लेफ्टिनेंट कर्नल
पहचानः बैज पर पांच किनारों वाला एक सितारा और इसके ऊपर अशोक चिह्न। कमीशंड सेवा में 13 साल रहने के बाद प्रमोशन मिलता है।
कर्नल
पहचानः बैज पर पांच किनारों वाले दो सितारे और इनके ऊपर अशोक चिह्न। कर्नल के पद पर प्रमोशन चयन के जरिए कमिशंड सर्विस में 15 साल रहने के बाद होता है।
ब्रिगेडियर
पहचानः बैज पर पांच किनारों वाले तीन सितारे और इनके ऊपर अशोक चिह्न। ब्रिगेडियर के पद पर प्रमोशन चयन के जरिए कमिशंड सर्विस में 25 साल रहने के बाद होता है।
मेजर जनरल
पहचानः बैज पर पांच किनारों वाला सितारा और इसके नीचे तलवार और डंडा क्रॉस रूप में। मेजर जनरल पद पर प्रमोशन चयन के जरिए कमिशंड सर्विस में 32 साल तक रहने के बाद होता है।
लेफ्टिनेंट जनरल
पहचानः बैज पर अशोक चिह्न और इसके नीचे तलवार और डंडा क्रॉस रूप में। लेफ्टिनेंट जनरल को कमिशंड सर्विस में 36 साल तक रहने के बाद चुना जाता है। वह वाइस चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ या आर्मी कमांडर्स का पद भी संभाल सकते हैं।
जनरल या सेना प्रमुख
पहचानः बैज पर अशोक चिह्न। इसके नीचे पांच किनारों वाला सितारा। इसके नीचे तलवार और डंडा क्रॉस रूप में। फील्ड मार्शल के मानद रैंक के बाद यह सर्वोच्च रैंक होता है। सिर्फ चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (COAS) ही यह रैंक हासिल कर सकता है।
फील्ड मार्शल
पहचानः बैज पर अशोक चिह्न और खिलते कमल की माला में तलवार और डंडा क्रॉस रूप में चिह्न। यह इंडियन आर्मी का सर्वोच्च रैंक है। ये अपने पद से कभी रिटायर नहीं होते। अभी तक सिर्फ फील्ड मार्शल सैम मानेकशा व फील्ड मार्शल के. एम. करियप्पा को ही यह सम्मान मिला है। दोनों का निधन हो चुका है।
सूबेदार मेजर/रिसालदार मेजर
पहचानः बैज पर स्ट्राइप के साथ अशोक चिह्न। चयन से प्रमोशन के बाद इस रैंक तक पंहुचा जाता है।
रिटायरमेंट: 34 साल की सर्विस या 54 साल उम्र, जो पहले हो।
सूबेदार/रिसालदार
पहचानः बैज पर स्ट्राइप के साथ दो सुनहरे सितारे। इस रैंक पर चयन के जरिए प्रमोशन होता है।
रिटायरमेंट: 30 साल की सर्विस या 52 साल की उम्र में जो भी पहले हो।
नायब सूबेदार/नायब रिसालदार
पहचानः बैज पर स्ट्राइप के साथ एक सुनहरा सितारा। इस रैंक पर प्रमोशन चयन के आधार पर होता है। कुछ स्थितियों में सीधे भर्ती भी होती है।
सैनिक
पहचानः इसकी वर्दी पर कोई निशान नहीं होता। इनकी पहचान कॉर्प्स से होती है, जिसमें वह सर्विस देता है। मसलन, सिग्नल्स के सिपाही को सिग्नलमैन, पैदल सेना के सिपाही को राइफलमैन और बख्तरबंद कॉर्प्स के सिपाही को गनर कहा जाता है।
लांस नायक
पहचानः एक धारी वाली पट्टी। प्रमोशन चुनाव के आधार पर होता है।
रिटायरमेंट: 22 साल की सर्विस या 48 साल की उम्र।
नायक या लांस दफादार
पहचानः बैज पर दो धारियों वाली पट्टी। प्रमोशन चुनाव के आधार पर।
रिटायरमेंट: 24 साल की सर्विस या 49 साल की उम्र।
हवलदार या दफादार
पहचानः बैज पर तीन धारियों वाली पट्टी। इस रैंक पर चयन के आधार पर प्रमोशन होता है।
सेना की 10 रोचक बातें 🇮🇳❤️🙏
भारत में हर साल 15 जनवरी को आर्मी डे यानी सेना दिवस मनाया जाता है। फील्ड मार्शल के.एम.करियप्पा ने इसी दिन यानी 15 जनवरी, 1949 को आखिरी ब्रिटिश कमांडर इन चीफ जनरल सर फ्रांसिस बूचर से भारतीय थल सेना के कमांडर इन चीफ का प्रभार संभाला था। इस मौके पर नई दिल्ली में और सेना के सभी मुख्यालयों में परेड्स और अन्य मिलिट्री शो का आयोजन होता है। आइये इस मौके पर हम भारतीय सेना के बारे में कुछ खास बातें जानते हैं...
- 1776 में कोलकाता में ईस्ट इंडिया कंपनी सरकार के अधीन भारतीय सेना का गठन हुआ था। अभी देश भर में भारतीय सेना की 53 छावनियां और 9 आर्मी बेस हैं। भारतीय सेना में सैनिक अपनी मर्जी से शामिल होते हैं। हालांकि संविधान में जबरन भर्ती का भी प्रावधान है लेकिन इसकी जरूरत कभी नहीं पड़ी।
- सियाचिन ग्लेशियर दुनिया की सबसे ऊंची रणभूमि है। यह समुद्र तल से 5000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
- 1971 का भारत-पाकिस्तान का युद्ध पाकिस्तानी सेना के करीब 93,000 सैनिकों और अधिकारियों के सरेंडर के साथ हुआ। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद हिरासत में लिए गए युद्ध बंदियों की यह सबसे बड़ी संख्या थी। इस युद्ध के बाद ही बांग्लादेश का निर्माण हुआ था।
- बेली पुल दुनिया का सबसे ऊंचा पुल है। यह हिमालय पर्वत की द्रास और सुरु नदियों के बीच लद्दाख की घाटी में है। अगस्त 1982 में भारतीय सेना ने इसका निर्माण किया था।
- भारतीय वायु सेना का तजाकिस्तान में एक आउट स्टेशन बेस है और दूसरा बेस अफगानिस्तान में बनाने पर गौर कर रही है।
- भारतीय सेना के पास एक घुड़सवार रेजिमेंट है। दुनिया में अब इस तरह की सिर्फ तीन रेजिमेंट्स रह गई है जिनमें से एक भारत की है।
- भारतीय नौसेना अकादमी, एझिमाला केरल में स्थित है। यह एशिया में अपने प्रकार की सबसे बड़ी नौसेना अकादमी है।
- बॉलिवुड की प्रसिद्ध मूवी 'बॉर्डर' लोंगेवाला के युद्ध पर बनी है। दिसंबर 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए इस युद्ध में भारत के सिर्फ 120 सैनिकों ने 2000 पाकिस्तानी सैनिकों से मोर्चा लिया था। इस युद्ध में भारत की सिर्फ दो कैजुअल्टी हुई थी और भारत के बहादुर सैनिकों ने पाकिस्तान को धूल चटा दी।
- परमवीर चक्र भारत का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है। दुश्मन के सामने उच्च दर्जे की बहादुरी या बलिदान के लिए यह दिया जाता है।
- भारतीय सेना संयुक्त राष्ट्र के शांतिबहाली ऑपरेशनों में अहम भूमिका निभाती है। बड़ी संख्या में भारतीय सैनिकों को इन ऑपरेशनों में तैनात किया जाता है।
इन्हें भी देखें
राष्ट्रीय मतदाता दिवस
स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस में अंतर
आर्मी दिवस
भारतीय संविधान की प्रस्तावना का अर्थ
भारतीय सेना में तीन तरह के कर्मी होते हैं:
1. कमिशंड ऑफिसर
ये सेना के सीनियर मैनेजमेंट होते हैं। जनरल से लेकर लेफ्टिनेंट तक के रैंक इसके तहत आते हैं। ये आईएएस के समकक्ष माने जाते हैं।
2. जूनियर कमिशंड ऑफिसर (JCO)
ये सेना के जूनियर मैनेजमेंट होते हैं। सेना में सूबेदार मेजर से लेकर नायब सूबेदार तक के रैंक इसके तहत आते हैं।
3. नॉन-कमिशंड ऑफिसर
ये जेसीओ द्वारा दिए गए आदेश पर अमल करते हैं। हवलदार से लेकर सिपाही तक के रैंक इसके तहत आते हैं।सभी सैन्य कर्मियों की वर्दी पर अलग-अलग बैज लगे होते हैं। बैज देखकर पता चल जाता है कि यह अधिकारी किस पद पर है। आइए जानते हैं रैंक और बैज...
लेफ्टिनेंट
पहचानः बैज पर पांच किनारों वाले दो सितारे। कमिशंड ऑफिसर रैंक में यह सबसे शुरुआती पद है।
कैप्टन
पहचानः बैज पर पांच किनारों वाले तीन सितारे। दो साल की कमिशंड सर्विस पूरी होने पर समयसीमा के आधार पर यह प्रमोशन मिलता है।
मेजर
पहचानः बैज पर अशोक चिह्न। समयसीमा के हिसाब से 6 साल की कमिशंड सर्विस पूरी करने पर प्रमोशन मिलता है।
लेफ्टिनेंट कर्नल
पहचानः बैज पर पांच किनारों वाला एक सितारा और इसके ऊपर अशोक चिह्न। कमीशंड सेवा में 13 साल रहने के बाद प्रमोशन मिलता है।
कर्नल
पहचानः बैज पर पांच किनारों वाले दो सितारे और इनके ऊपर अशोक चिह्न। कर्नल के पद पर प्रमोशन चयन के जरिए कमिशंड सर्विस में 15 साल रहने के बाद होता है।
ब्रिगेडियर
पहचानः बैज पर पांच किनारों वाले तीन सितारे और इनके ऊपर अशोक चिह्न। ब्रिगेडियर के पद पर प्रमोशन चयन के जरिए कमिशंड सर्विस में 25 साल रहने के बाद होता है।
मेजर जनरल
पहचानः बैज पर पांच किनारों वाला सितारा और इसके नीचे तलवार और डंडा क्रॉस रूप में। मेजर जनरल पद पर प्रमोशन चयन के जरिए कमिशंड सर्विस में 32 साल तक रहने के बाद होता है।
लेफ्टिनेंट जनरल
पहचानः बैज पर अशोक चिह्न और इसके नीचे तलवार और डंडा क्रॉस रूप में। लेफ्टिनेंट जनरल को कमिशंड सर्विस में 36 साल तक रहने के बाद चुना जाता है। वह वाइस चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ या आर्मी कमांडर्स का पद भी संभाल सकते हैं।
जनरल या सेना प्रमुख
पहचानः बैज पर अशोक चिह्न। इसके नीचे पांच किनारों वाला सितारा। इसके नीचे तलवार और डंडा क्रॉस रूप में। फील्ड मार्शल के मानद रैंक के बाद यह सर्वोच्च रैंक होता है। सिर्फ चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (COAS) ही यह रैंक हासिल कर सकता है।
फील्ड मार्शल
पहचानः बैज पर अशोक चिह्न और खिलते कमल की माला में तलवार और डंडा क्रॉस रूप में चिह्न। यह इंडियन आर्मी का सर्वोच्च रैंक है। ये अपने पद से कभी रिटायर नहीं होते। अभी तक सिर्फ फील्ड मार्शल सैम मानेकशा व फील्ड मार्शल के. एम. करियप्पा को ही यह सम्मान मिला है। दोनों का निधन हो चुका है।
सूबेदार मेजर/रिसालदार मेजर
पहचानः बैज पर स्ट्राइप के साथ अशोक चिह्न। चयन से प्रमोशन के बाद इस रैंक तक पंहुचा जाता है।
रिटायरमेंट: 34 साल की सर्विस या 54 साल उम्र, जो पहले हो।
सूबेदार/रिसालदार
पहचानः बैज पर स्ट्राइप के साथ दो सुनहरे सितारे। इस रैंक पर चयन के जरिए प्रमोशन होता है।
रिटायरमेंट: 30 साल की सर्विस या 52 साल की उम्र में जो भी पहले हो।
नायब सूबेदार/नायब रिसालदार
पहचानः बैज पर स्ट्राइप के साथ एक सुनहरा सितारा। इस रैंक पर प्रमोशन चयन के आधार पर होता है। कुछ स्थितियों में सीधे भर्ती भी होती है।
सैनिक
पहचानः इसकी वर्दी पर कोई निशान नहीं होता। इनकी पहचान कॉर्प्स से होती है, जिसमें वह सर्विस देता है। मसलन, सिग्नल्स के सिपाही को सिग्नलमैन, पैदल सेना के सिपाही को राइफलमैन और बख्तरबंद कॉर्प्स के सिपाही को गनर कहा जाता है।
लांस नायक
पहचानः एक धारी वाली पट्टी। प्रमोशन चुनाव के आधार पर होता है।
रिटायरमेंट: 22 साल की सर्विस या 48 साल की उम्र।
नायक या लांस दफादार
पहचानः बैज पर दो धारियों वाली पट्टी। प्रमोशन चुनाव के आधार पर।
रिटायरमेंट: 24 साल की सर्विस या 49 साल की उम्र।
हवलदार या दफादार
पहचानः बैज पर तीन धारियों वाली पट्टी। इस रैंक पर चयन के आधार पर प्रमोशन होता है।
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