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SURFACE CHEMISTRY : ADSORPTION

पृष्ठीय रसायन ( SURFACE CHEMISTRY ): -       पृष्ठीय रसायन या भूतल रसायन   भौतिक   और रासायनिक   घटनाओं  का अध्ययन  है जो  दो इंटरफ़ेस में   संपन्न   में होता है  जिसमें ठोस  - तरल  इंटरफेस, ठोस गैस  इंटरफेस, ठोस निर्वात   इंटरफेस, और द्रव - गैस   इंटरफेस शामिल हैं।  इसमें सतह रसायन विज्ञान  और सतह भौतिकी  के क्षेत्र शामिल हैं  ।  कुछ संबंधित व्यावहारिक अनुप्रयोगों को सतह इंजिनीरिंग के  रूप में वर्गीकृत किया गया है  ।  विज्ञान इस तरह के विषम कटैलिसिस  जैसी अवधारणाओं को शामिल करता है  ,अर्धचालक उपकरण निर्माण , ईंधन कोशिकायें  ,  अधिशोषण (ADSORPTION) :-  ठोस पदार्थ के संपर्क में आने वाले द्रव या गैस के अणु  ठोस पदार्थ के पृष्ठ की और आकर्षित होकर उससे चिपक जाते है तो इस घटना को अधिशोषण कहते है | जैसे जब किसी ठोस  के महीन चूर्ण को किसी गैस में मिला दिया जाता है तब गैस के अणु तब...

Vapour pressure and Raoult`s law

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Chapter 2 Solution & Colligative Properties वाष्प दाब (Vapour pressure) : - एक निश्चित ताप पर साम्यावस्था में द्रव की सतह पर आरोपित वाष्प के दाब को वाष्प दाब (vapour pressure) कहा जाता है   वाष्प दाब का अवनमन (lowering of vapour pressure)  :- यदि किसी शुद्ध द्रव में एक अवाष्पशील विलय मिला दिया जाता है तो सामान ताप पर विलयन का वाष्प दाब शुद्ध द्रव अर्थात विलायक के वाष्प दाब से कम हो जाता है | इसे वाष्प दाब का अवनमन कहा जाता है | वाष्प दाब के  अवनमन का   कारण :- द्रव में अवाष्पशील विलय मिश्रित कर देने पर विलयन की सतह पर द्रव तथा विलय दोनों के अणु उपस्थित रहते है | अतः विलयन के सतह पर द्रव के अणुओं की संख्या घट जाती है |फलतः विलयन के सतह को पार करके वाष्प बनानेवाले विलायक के अणुओं की संख्या घट जाती है जिससे विलयन का वाष्प दाब कम हो जाता है | वाष्प दाब का आपेक्षिक अवनमन : - शुद्ध विलायक के सापेक्ष वाष्प दाब के अवनमन को वाष्प दाब का आपेक्षिक अवनमन  कहते है |                  ...

Bharat is My Home Summary

English Chapter 1 Revision , Science Academy Bazar Bhithi      Q.1 Write the summary ‘ Bharat is My Home’ ? Ans. The extract ‘ Bharat is my home ‘ is taken from the speech of Dr Zakir Hussain .This is the second chapter of my text book. This speech is delivered by Dr Zakir Hussain in 1967 after taking the oath as president of India. In this speech Dr Zakir Hussain pledges   himself to the service of the totality of Indian culture .    In this speech he said that he assumed his office of the president in a spirit of humanity and total dedication. He would be abide by the constitution of India. He pledges to the service of absolute values. The author in his speech has given the importance of the growth of national culture and national character. According to him our past culture is not dead and static but it is alive and dynamic.   Our past culture is base of developing the quality of our present and the prospects of our future. ...